उसूलों से कभी गिरना गवारा कर नहीं सकते |
वे ही इंसान मर कर भी जहाँ में मर नहीं सकते ||
तुम्हे ख़ुद से ज़ियादा प्यार तो हम कर नहीं सकते |
तुम्हारा हुस्न बाँका है मगर हम मर नहीं सकते ||
मनाते हैं उन्हें जब भी वो हम से रूठ जाते हैं |
कलेजे पर यूं हम भी यार पत्थर धर नहीं सकते ||
बड़े ही ख़ूबरू हो तुम ज़माना तो कहे लेकिन |
बुरा मानो न हम तारीफ़ झूठी कर नहीं सकते ||
किसी की मांग कुछ भी हो अगर जायज़ हो तो माने |
बिठा कर ज़िन्दगी भर पेट उसका भर नहीं सकते ||
करें हम उतना ही वादा निभाना जितना हो बस में |
कभी औक़ात से बढ़ कर के वादा कर नहीं सकते ||
मुक़द्दर का लिखा मिलना है सबको ये सुना हमने |
मुक़द्दर के मगर हाथों में ख़ुद को धर नहीं सकते ||
हमारा प्यार है सबसे निग़ाहों में शरम भी है |
मगर हम यूँ किसी के ख़ौफ़ से तो डर नहीं सकते ||
डा० सुरेन्द्र सैनी