Friday, 27 January 2012

उस सितमगर


उस सितमगर से हर इक मुलाक़ात में |
ग़म  ही  ग़म  पाए  हैं हमने सौग़ात में ||

हर  लम्हा  सांस घुटती सी महसूस हो |
क्या  जियेगा  कोई  एसे   हालात   में ||

मीठी बातों का उसकी करो मत यक़ीं |
है शरारत निहां  उसकी हर बात   में ||

अब ख़ुदाया न  कोई  शिकायत करो |
वस्ल के  इन हसीं चंद   लम्हात  में ||

हुस्न  को  देख   इतने  पसीने   छुटे |
जैसे भीग आये हों भारी बरसात में ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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