उस सितमगर से हर इक मुलाक़ात में |
ग़म ही ग़म पाए हैं हमने सौग़ात में ||
हर लम्हा सांस घुटती सी महसूस हो |
क्या जियेगा कोई एसे हालात में ||
मीठी बातों का उसकी करो मत यक़ीं |
है शरारत निहां उसकी हर बात में ||
अब ख़ुदाया न कोई शिकायत करो |
वस्ल के इन हसीं चंद लम्हात में ||
हुस्न को देख इतने पसीने छुटे |
जैसे भीग आये हों भारी बरसात में ||
डा० सुरेन्द्र सैनी